Thursday, October 15, 2015

Poem - Baarish

ख़ुश्क से इस दिल पर
जब बारिश गिरती है
संभाल नहीं पाता
मचलने लगता है

संभल जा ज़रा
इतना मत उछल।

उछलने दो ज़रा
आज मैं खुश हूँ
दबा सहमा रहता हूँ
day to day के बोझ में
पता नहीं दोबारा
कब मिलेगा ये मौका

जब उछल उछल पड़ेगा मन
बारिश की बूंदों में।
 

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